दक्षिणावर्ती शंख के शीर्ष में चंद्र देवता, मध्य में वरुण, पृष्ठ भाग में ब्रह्मा और अग्र भाग में गंगा, यमुना तथा सरस्वती नदियों का वास होता है।
शंख में लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए जिस घर में शंख की स्थापना होती है, उसमें लक्ष्मी स्थायी रूप से वास करती हैं।
पुलस्त्य संहिता के अनुसार, स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति का एक मात्र उपाय दक्षिणावर्ती शंख कल्प (प्रयोग) ही है। इस प्रयोग से ऋण, दरिद्रता तथा रोग आदि मिट जाते हैं और साधक के घर में हर प्रकार से संपन्नता आने लगती है।
दक्षिणावर्ती शंख को अपने घर अथवा व्यवसाय स्थल में विधिवत् प्राण प्रतिष्ठित करके स्थापित कर नित्य प्रातः उसके दर्शन और नमस्कार करें, चित्त शांत होगा, दरिद्रता दूर होगी और लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी।
दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर किसी स्त्री, पुरुष या बच्चे के ऊपर छिड़कने से रोग, नजर दोष, ग्रहों के कुप्रभाव, जादू-टोना आदि से उसकी रक्षा होती है। दक्षिणावर्ती शंख में गाय का दूध भरकर भगवान शिव को अर्पित करने या उससे उनका अभिषेक करने से वह शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं तथा भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं।
|| जय माता दी ||
|| ज्योतिषाचार्या विनीता ||
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